
नई दिल्ली। सोमवार छ: सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट में एक व्यक्ति ने सीजेआई पर हमला करने की कोशिश की। सुबह के सत्र के दौरान उन्होंने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने का प्रयास किया। उन्हें सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत अदालत कक्ष से बाहर निकाल दिया। इस घटना के कारण कार्यवाही कुछ मिनटों के लिए बाधित हुई, जिसके बाद सत्र फिर से शुरू हुआ। करीब 70 वर्षीय वकील राकेश किशोर को पूछताछ करने के बाद रिहा कर दिया गया है। मामला खजुराहो में भगवान विष्णु की खण्डित प्रतिमा से जुड़ा बताया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, वकील जज की कुर्सी के पास गया और अपना जूता निकालकर न्यायाधीश पर फेंकने का प्रयास किया। खबर के अनुसार मौजूद वकीलों ने बताया कि अदालत कक्ष से बाहर निकाले जाने के दौरान उस व्यक्ति ने चिल्लाकर कहा, “सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान”। कुछ गवाहों ने दावा किया कि उसने जूता फेंकने की कोशिश की जबकि अन्य ने कहा कि वह कागज़ का एक रोल उछालता हुआ प्रतीत हो रहा था। बताया जा रहा है कि उस व्यक्ति ने वकील की पोशाक पहन रखी थी।
यह घटना उस समय हुई जब मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक पीठ वकीलों द्वारा मामलों की सुनवाई कर रही थी। वकील मंच के पास पहुँचा, अपना जूता उतारा और उसे न्यायाधीश की ओर फेंकने की कोशिश की। अदालत कक्ष में मौजूद सतर्क सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और हमले को रोका। वकील को तुरंत अदालत परिसर से बाहर ले जाया गया। हंगामे के बावजूद, मुख्य न्यायाधीश ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और अदालत में उपस्थित वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने को कहा। उन्होंने कहा, “इन सब बातों से विचलित मत होइए। हम विचलित नहीं हैं। इन बातों का मुझ पर कोई असर नहीं पड़ता।”
खजुराहो प्रकरण
यह घटना खजुराहो में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना से संबंधित एक पूर्व मामले में मुख्य न्यायाधीश गवई की टिप्पणियों से प्रेरित थी। सीजेआई गवई की टिप्पणी से सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया था और कई लोगों ने मुख्य न्यायाधीश पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का आरोप लगाया था। दो दिन बाद अदालत में इस विवाद पर बोलते हुए, मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि उनका कोई अनादर करने का इरादा नहीं था।
वकील राकेश किशोर रिहा
सुप्रीम कोर्ट के अंदर मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर कथित तौर पर जूता फेंकने वाले करीब 70 वर्षीय वकील राकेश किशोर से पूछताछ के तीन घंटे बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। इसकी वजह यह रही कि क्योंकि शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार जनरल ने उनके खिलाफ आरोप लगाने से इनकार कर दिया। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने दिल्ली पुलिस से जूते और दस्तावेज वकील राकेश किशोर को सौंपने को भी कहा। एक सूत्र ने बताया, “उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से मंजूरी लेने के बाद दिल्ली पुलिस की सुरक्षा इकाई और नई दिल्ली जिला पुलिस के अधिकारियों ने उनसे पूछताछ की।
बार काउंसिल ने कर दिया निलंबित
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अधिवक्ता राकेश किशोर को भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने का प्रयास करने के बाद तत्काल प्रभाव से अदालतों में प्रैक्टिस करने से निलंबित कर दिया है। बीजेपी सांसद और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि यह बेहद दुखद और शर्मनाक है। इससे ज़्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकर इस घटना ने देश के सभी वकीलों को शर्मसार किया है। हमारे CJI भी सनातनी हैं, वह भी मंदिर जाते हैं। हम इसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
पुलिस ने कहा कि उन्होंने वकील राकेश किशोर के कब्जे से एक सफेद कागज का नोट बरामद किया है। पुलिस के मुताबिक, नोट में लिखा है कि मेरा संदेश हर सनातनी के लिए है… सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान। पुलिस को यह भी पता चला कि उसके पास सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन, शाहदरा बार एसोसिएशन और दिल्ली बार काउंसिल का कार्ड भी था। किशोर से पूछताछ के दौरान दिल्ली पुलिस ने उनसे मुख्य न्यायाधीश गवई पर जूता फेंकने के उनके उद्देश्य के बारे में पूछा। एक सूत्र ने बताया कि वकील ने दावा किया है कि वह मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर परिसर में भगवान विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना की मांग वाली याचिका पर हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान सीजेआई की टिप्पणी से नाखुश थे।