
बस्ती (सू.वि.उ.प्र.)। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट), बस्ती में मंगलवार को प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, राजकीय एवं माध्यमिक शिक्षकों का जनपद स्तरीय नवाचार महोत्सव, बेस्ट प्रैक्टिस एवं नॉलेज शेयरिंग कार्यक्रम बड़े ही भव्य और गरिमामय वातावरण में प्रारंभ हुआ। नवाचार महोत्सव का समापन बुधवार को हुआ। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों के बीच पारस्परिक सहयोग, नवाचार, सृजनात्मकता तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए नवीनतम शिक्षण विधियों का आदान-प्रदान सुनिश्चित करना है।
कार्यक्रम का शुभारंभ डायट प्राचार्य संजय कुमार शुक्ल के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में हुआ। मुख्य अतिथि जिला आपदा विशेषज्ञ रंजीत रंजन द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया गया। इसके उपरांत अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर किया गया। मुख्य अतिथि रंजीत रंजन ने अपने संबोधन में शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और सृजनात्मकता की अनिवार्यता पर बल देते हुए कहा कि आज का युग ज्ञान-विनिमय और तकनीकी प्रयोगों का युग है। यदि शिक्षक समय की मांग के अनुसार नवीन प्रयोग करेंगे, तो निश्चित ही शिक्षा की गुणवत्ता में क्रांतिकारी सुधार होगा। शिक्षक न केवल विद्यार्थियों के मार्गदर्शक होते हैं, बल्कि वे राष्ट्र के भविष्य निर्माता भी हैं। इस प्रकार के आयोजन हमें शिक्षा को राष्ट्रनिर्माण का सशक्त आधार बनाने की दिशा में प्रेरित करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि डायट में चल रहे सुरक्षा एवं संरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रमों में आपदाओं की रोकथाम, उनकी तैयारी तथा संवेदनशीलता के विषय पर विस्तृत जानकारी दी जा रही है। शिक्षा और आपदा प्रबंधन दोनों ही क्षेत्रों में जागरूकता और नवाचार एक सुरक्षित एवं समृद्ध समाज के निर्माण में सहायक सिद्ध होंगे।
डायट प्राचार्य संजय कुमार शुक्ल ने अपने उद्बोधन में कहा कि नवाचार महोत्सव केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि शिक्षकों के लिए प्रेरणा का मंच है। यह शिक्षण में नवीन तकनीकों, प्रयोगों और अनुभवों को साझा करने का अवसर देता है। इस मंच पर किए गए विचार-विनिमय से निश्चित रूप से शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली को समयानुकूल बनाने के लिए आवश्यक है कि शिक्षक एक-दूसरे के अनुभवों से सीखते हुए विद्यार्थियों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुँचाएँ। नोडल प्रवक्ता डॉ. गोविंद प्रसाद ने बताया कि महोत्सव में बेसिक, माध्यमिक तथा शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों के शिक्षकों ने अपने-अपने विषयों में नवीन शिक्षण पद्धतियों का प्रदर्शन किया। चार्ट, मॉडल, गतिविधियों और प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षण पद्धतियों के माध्यम से भाषा, विज्ञान, गणित एवं सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों को सरल और रोचक बनाने की तकनीकें साझा की गईं। सह नोडल प्रवक्ता वंदना चौधरी ने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने और शिक्षण कार्य को बच्चों के सर्वांगीण विकास की दिशा में ले जाने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें प्रतिभागियों, अधिकारियों और विद्यार्थियों द्वारा शिक्षा एवं समाज से जुड़ी विभिन्न नवाचारी विधियों पर चर्चा की गई।
नॉलेज शेयरिंग सत्र में यह निष्कर्ष सामने आया कि नवाचार और आपसी संवाद से शिक्षा अधिक प्रभावी बनती है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का आधार रचनात्मकता और साझा अनुभव है। गणित को खेल-खेल में सिखाने, डिजिटल माध्यमों से पढ़ाने, प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षण, और बाल केंद्रित गतिविधियों को अपनाने से शिक्षा बच्चों के लिए सहज और आकर्षक बन सकती है। डायट के प्रशिक्षुओं ने भी शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत शिक्षण सामग्री का अवलोकन किया और भविष्य में स्वयं ऐसी सामग्रियों का निर्माण करने की प्रेरणा ली। इस अवसर पर विशेषज्ञों की निर्णायक समिति द्वारा विभिन्न स्तरों पर नवाचार की उत्कृष्टता के आधार पर शिक्षकों को सम्मानित किया गया। माध्यमिक स्तर पर प्रथम डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी, द्वितीय शैलेश पटवा, तृतीय श्रीमती गीता उपाध्याय, सांत्वना श्रीमती नीलम गुप्ता एवं देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव, प्राथमिक स्तर पर प्रथम सुषमा त्रिपाठी, द्वितीय बालमुकुंद (रामनगर), तृतीय प्रियंका (कप्तानगंज) सांत्वना मीना शर्मा (विक्रमजोत) एवं अनुराग (हर्रैया) को सम्मानित किया गया। समापन अवसर पर प्राचार्य एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए तथा विजेता शिक्षकों को विशेष पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र वितरित किए गए। चयनित नवाचारों को आगे एससीईआरटी लखनऊ को भेजा जाएगा, ताकि उनका राज्य स्तरीय स्तर पर मूल्यांकन एवं प्रसार हो सके।
मुख्य अतिथि रंजीत रंजन ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि शिक्षक समाज का मेरुदंड हैं। शिक्षा में नवाचार से न केवल विद्यार्थियों का भविष्य उज्ज्वल होता है, बल्कि पूरा राष्ट्र विकास की राह पर अग्रसर होता है। यह महोत्सव शिक्षकों को प्रेरित कर रहा है कि वे अपने ज्ञान और अनुभव को साझा करें और बच्चों में मूल्य-आधारित शिक्षा के साथ-साथ जीवन कौशल का भी विकास करें। यही शिक्षक और विद्यार्थी मिलकर सशक्त राष्ट्र का निर्माण करेंगे। इस आयोजन को सफल बनाने में डायट प्रवक्ता डॉ. गोविन्द प्रसाद, वंदना चौधरी, डॉ. ऋचा शुक्ला, वर्षा पटेल, सरिता चौधरी, कल्याण पाण्डेय, डॉ. रविनाथ, कुलदीप चौधरी, मो. इमरान खान, अमन सेन, शशि दर्शन त्रिपाठी आदि का विशेष योगदान रहा। साथ ही डी.एल.एड. प्रशिक्षुओं शिवम पटेल, वीरेंद्र, हर्षित, विनोद, नागेश, संदीप, सुखबीर, ईशा श्रीवास्तव, क्षमा, नीरज, उदय, नीलम आर्या, अनुराधा, कीर्ति, पूजा, रूबी, बिंदु, सृष्टि, सौम्या, समीक्षा, शिवानी, अजय, अमरेंद्र, अरविंद, चंदन, अरुण, सौरभ, ज्ञानेंद्र, सूरज, सच्चिदानंद, आकाश पांडेय, आदर्श आदि ने भी पूरे उत्साह से सक्रिय भूमिका निभाई।