
सिद्धार्थ नगर (उ. प्र.)। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर घर तिरंगा अभियान को शत प्रतिशत सफल बनाने के उद्देश्य से नगर पालिका परिषद सिद्धार्थनगर के सभागार में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। हर घर तिरंगा, विषय वस्तु पर 14 अगस्त 2025 को शहीदों को नमन किया गया। विभाजन विभीषिका की पीड़ा का स्मरण किया गया। काव्य में मुख्य नौ रसों श्रृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, अद्भुत और शांत रस का सभी कवियों ने श्रोताओं में संचार किया। हास्य भी रहा और व्यंग्यधर्मी रचनाएं भी सुनी और सराही गईं। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन साहित्य संगम की अध्यक्ष और भूगोल की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सीमा मिश्रा ने किया। कवि सम्मेलन एक शाम राष्ट्र के नाम पर समर्पित रहा।
(प्रेस क्लब बस्ती के अध्यक्ष विनोद उपाध्याय को सम्मानित किया गया)
कवि सम्मेलन का प्रारंभ सलोनी उपाध्याय के सरस्वती वंदना से हुआ। प्रथम कवि के रूप में खड़ी बोली हिन्दी, अवधी और भोजपुरी के कवि डॉ विनय कांत मिश्र ने छंद में कवि नहीं श्रोता हूं, पढ़कर श्रोताओं की महिमा का आख्यान किया। मोदी योगी जैसन नेता, हमने कबहू नाहीं देखा, यहां गोबिंद माधव क पूरा सम्मान बा, जानत जहान बा ना सुनाकर श्रोताओं की तालियों को बटोरा। इसीके साथ नेहिया लगावा पिया सुनाकर श्रोताओं को वियोग श्रृंगार से अभिसिंचित किया। बस्ती से आए बस्ती के प्रेस क्लब अध्यक्ष विनोद उपाध्याय ने कवि सम्मेलन को ऊंचाई प्रदान की।
(प्रेस क्लब बस्ती अध्यक्ष विनोद उपाध्याय का माल्यार्पण)
सलोनी उपाध्याय ने भारत भारत सुनाकर लोगों को देश प्रेम की भावना से ओत प्रोत किया।
डॉ ज्ञानेंद्र द्विवेदी जी की भक्ति रस की कविता ने भगवान श्रीराम की महिमा का बखान किया। ब्रह्मदेव शास्त्री पंकज के सुर, लय और ताल ने कवि सम्मेलन को गति प्रदान किया। वरिष्ठ पत्रकार और शायर नजीर मलिक जी ने आस्था को तर्क की घंटियां अच्छी लगीं सुनाकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
सलमान आमिर की देशभक्ति और प्रेम की शायरी ने श्रोताओं को अपनी तरफ आकर्षित किया। अरुणेश विश्वकर्मा के हाव, भाव ने कवि सम्मेलन को राष्ट्रीयता के नए क्षितिज पर पहुंचाया। नियाज़ कपिलवस्तुवी जनपद के गौरव हैं। उनकी कविता वह शक्ति हमें दो, पत्नी सेवा में डट जाएं ने आज की युवा पीढ़ी को संदेश दिया कि पत्नी और बच्चों के साथ माता पिता की भी सेवा करें। कवि गंगेश मिश्र अनुरागी ने आल्हा शैली में राष्ट्रभक्ति की कविताएं पढ़ीं।
कवि सम्मेलन का आयोजन नगर पालिका सिद्धार्थनगर के चेयरमैन गोविंद माधव ने किया। उन्होंने लगातार पांच घंटे तक सभागार में उपस्थित रहकर कवियों और श्रोताओं का उत्साह वर्धन किया। साहित्य संगम की अध्यक्ष और भूगोल की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सीमा मिश्रा ने एक शाम राष्ट्र के नाम पर आयोजित कवि सम्मेलन का संयोजन और संचालन किया। अपने बारे में मैं नहीं बल्कि मेरे बारे में आप बताएंगे। सभी कविगण और कवयित्रियों सहित उपस्थित श्रोता बंधुओं के साथ प्रबुद्ध नागरिक गण का मैं धन्यवाद ज्ञापित करती हूं कि आप मेरे साथ लगातार पांच घंटे तक जुड़े रहे।
जनपद सिद्धार्थनगर और डुमरियागंज के लोकप्रिय सांसद श्री जगदंबिका पाल जी की गरिमामई उपस्थिति ने कवियों, श्रोताओं और प्रबुद्ध नागरिक गण को राष्ट्रप्रेम की भावना से अनुप्राणित किया। आपने साहित्य से लेकर संसद तक कला, साहित्य और समाज को दिशा प्रदान करने का संकल्प लेकर राजनीति की है। आपकी सांस्कृतिक प्रतिबद्धता आपको एक कुशल मार्गदर्शक और अभिभावक के रूप में महिमामंडित करती है। जहां पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा लाल जी त्रिपाठी उर्फ लाल बाबा की उपस्थिति ने सभागार के वातावरण को महनीय बनाया वहीं भाजपा गोरखपुर के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष श्री संजीव राय जी की उपस्थिति ने सभागार को वंदनीय बनाया। सम्मानित सभासद महोदय गण के अध्यक्ष और भाजपा के जिला महामंत्री श्री फतेह बहादुर सिंह जी ने संचालन में मार्गदर्शन दिया। आप एक कुशल नेतृत्वकर्ता हैं।
इस अवसर पर जनपद के वरिष्ठ नागरिक गण का सम्मान हुआ। श्री के एम लाल, श्री रमेश सिंह बी एस सी, श्री चंद्र प्रकाश लाल श्रीवास्तव, श्री कमला दुबे, श्री नजीर मलिक और श्री प्रहलाद पांडेय जी को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर नगर पालिका सिद्धार्थनगर के अध्यक्ष श्री गोबिंद माधव जी का सान्निध्य और अधिशाषी अधिकारी श्री अजय कुमार सिंह जी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। इसी के साथ साहित्य संगम के प्रेरणास्रोत महामंत्री और सिद्धार्थ प्रेस क्लब के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार श्री संतोष श्रीवास्तव जी की गरिमामई उपस्थिति ने वातावरण और कवि सम्मेलन को जीवंत किया। आप मेरे मंच संचालन के प्रेरणा स्रोत रहे हैं। सभी सम्मानित सभासद गण, भाजपा के कार्यकर्ता गण और नागरिक गण उपस्थित रहे। आप सभी को साधुवाद और प्रणाम निवेदित करती हूं।
Content By : डॉ. सीमा मिश्रा – अध्यक्ष साहित्य संगम