
लखनऊ। लखनऊ में किसान पथ पर डबल डेकर एसी बस में अचानक आग लग जाने से पांच यात्रियों की जिंदा जलकर मौत हो गई। ये सभी बिहार से दिल्ली जा रहे थे। इस हादसे जान गंवाने वाले पांच लोगों में दो मासूम बच्चे भी शामिल हैं। बिहार के बेगूसराय से दिल्ली के आनंद विहार जा रही यात्रियों से खचाखच भरी डबल डेकर एसी बस में आग लग गई। यह हादसा 15 मई गुरुवार सुबह 4.40 बजे मोहनलालगंज के कल्ली पश्चिम स्थित आउटर रोड किसान पथ पर हुआ। बस में आग लगने से दो बच्चों और दो महिलाओं समेत कुल पांच लोग जिंदा जल गए। सभी बिहार से दिल्ली और हरियाणा में रोजगार की तलाश में जा रहे थे। बस में 80 लोग सवार थे और आग लगने के बाद खिड़की के कांच तोड़ कर बस से कूद कर लोगों ने अपनी जान बचाई।
बस में आग लगने की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पीजीआई और मोहनलालगंज थाना की फोर्स के साथ-साथ फायर बिग्रेड ने फंसे हुए लोगों को दरवाजे और खिड़कियां तोड़कर बाहर निकाला। शुरुआती जांच में आग लगने का कारण गियर बाक्स के पास हुआ शार्ट सर्किट बताया जा रहा है। बस में एलपीजी सिलेंडर भी रखे थे, जो आग की चपेट में आने से फट गए। बस में लगे एसी का कम्प्रेसर भी फट गया। पुलिस ने बस यात्री राम बालक की तहरीर पर बस मालिक, ड्राइवर और क्लीनर के खिलाफ गैर इरादतन हत्या समेत गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। हादसे के वक्त बस में सवार सभी यात्री सो रहे थे। अचानक बस में आग और धुआं से हड़कंप मच गया। बस का केबिन चारों तरफ से बंद था और आग लगने के बाद केबिन के बाहर ड्राइविंग सीट पर मौजूद ड्राइवर व क्लीनर गाड़ी छोड़ कर मौके से भाग निकले। बस में आग और धुआं भरने लगा तो किसी तरह से यात्रियों ने अपनी जान बचाने का प्रयास शुरू किया। हालांकि, बस में आग से निपटने के सुरक्षा उपकरण भी नहीं थे और न ही इमरजेंसी निकास था। बस में क्षमता से दो गुना सवारियां थीं, जो भाग भी नहीं पाईं।
हादसे में करीब 60 वर्षीय लक्खी देवी पत्नी अशोक महतो,इनकी पुत्री करीब 26 वर्षीय सोनी, करीब 21 वर्षीय मधुसूदन और रामबालक महतो का करीब 3 वर्षीय बेटा देवराज व इन्हीं की करीब डेढ़ वर्ष की बेटी साक्षी ने आग की चपेट में आकर तड़पकर दम तोड़ दिया। हादसे में घायल हुए लोगों में राम किशन निवासी मुजफ्फरपुर, रंजीत निवासी मुजफ्फपुर मोतीपुर, रणधीर निवासी बेगूसराय, जयमंगल और बबलू कुमार निवासी समस्तीपुर शामिल हैं।
बस में सवार यात्रियों ने बताया कि बस में आग लगने के बाद भी ड्राइवर करीब एक किमी तक जलती हुई बस दौड़ाता रहा और हालात बेकाबू होने पर वह क्लीनर के साथ गाड़ी छोड़ कर फरार हो गया। आग लगने के बाद लाक्षागृह बनीं बस में सभी 80 यात्री फंस गए और अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। किसी तरह ड्राइवर केबिन का गेट खोल कर भागने का प्रयास किया तो कुछ ने खिड़की का कांच तोड़ बाहर छलांग लगाई। पीछे के हिस्से में मौजूद सभी लोग फंस गए। जिसमें दो बच्चे समेत पांच लोग बस में मौजूद सभी यात्रियों के आंखों के सामने जिंदा जल गए। फायर ब्रिगेड व पुलिस ने मौके पर पहुंच कर उनके शवों को बाहर निकाला और पांचों मृतकों के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
गर्भवती पत्नी को बचाया तो बच्चे फंस गए आग में
बिहार के बेगूसराय जिले से बुधवार की दोपहर सीतामढ़ी जिले के थाना रुणी सैदपुर के गमवारा गांव निवासी रामबालक महतो अपनी सात माह की गर्भवती पत्नी गुड्डी, चार वर्षीय बेटे देवराज और दो वर्षीय बेटी साक्षी के साथ ट्रैवल प्वाइंट एजेंसी की स्लीपर बस संख्या यूपी 17 एटी 6372 पर सवार होकर हरियाणा के करनाल जिले के लिए निकले थे। बस में उनके साथ अन्य सवारियां भी थीं। रामबालक ने बताया कि गुरुवार की सुबह करीब पांच बजे मोहनलालगंज थाने की हरिकंशगढ़ी चौकी से कुछ कदम दूर किसान पथ पर बस में अचानक आग लग गई। हादसे के वक्त सभी लोग सो रहे थे। गियर बाक्स के पास से अचानक लपटें उठी और कुछ ही देर में बस के अंदर धुआं भर गया। देखते ही देखते आग विकराल हो गई। राम बालक के बेटे देवराज और उनकी बेटी साक्षी की जलने के कारण मौत हो गई।
पोते को बचाने में पत्नी व बेटी को नहीं बचा सका
समस्तीपुर जिले की हसनपुर निवासी अशोक कुमार महतो की 60 वर्षीय पत्नी लक्खीदेवी और 26 वर्षीय बेटी सोनी एवं बेगूसराय के डिहाग निवासी 27 वर्षीय मधुसूदन की भी जलने से मौत हो गई। साक्षी और देवराज के शव सीट पर पड़े मिले, जबकि अन्य तीनों मृतकों के शव सीट के नीचे गैलरी में मिले हैं। परिवार ने कपड़ों के आधार पर सभी की पहचान की है। लक्खीदेवी के पति अशोक कुमार ने बताया कि उनका तीन वर्षीय नाती आदित्य भी हादसे के वक्त उनके ही पास था। आग लगी तो वह आदित्य की जान बचाने के लिए उसे लेकर भागे, आदित्य को बचा लिया लेकिन पत्नी और बेटी की जान चली गई।
बस निकासी गेट को बंद कर दिया था
जिस डबल डेकर स्लीपर बस से हादसा हुआ वह यात्रियों के लिए चलता फिरता ताबूत साबित हुई। बस में ड्राइवर की सीट के पीछे ही नियमों के विपरीत एक और सीट लोहे के एंगल से जोड़ी गई थी। निकासी गेट के पास जुड़ी इस सीट की वजह से ही यात्री बस से निकल नहीं पाए। बस में क्षमता से ज्यादा सवारियां थीं। बस में सफर करने वाले यात्रियों के मुताबिक, 40 लोगों की क्षमता वाली बस में करीब 80 सवारियां थीं। बस में आग से निपटने के जरूरी इंतजाम भी नहीं थे। बस का इमरजेंसी निकास भी जाम था। इसी वजह से हादसे में पांच जानें चली गई।
बस में सात छोटे एलपीजी रखे थे, जो आग की चपेट में आने से फट गए। इसके अलावा, बस में लगी एसी का कम्प्रेसर भी फट गया। धमाके के चलते आग और तेज हो गई। आस-पास के रहने वाले लोगों का कहना है कि करीब एक किमी तक धमाके व आग की लपटें व धुआं नजर आ रहा था। लगातार धमाके से आसपास मौजूद लोगों में दहशत फैल गई। पीजीआई फायर स्टेशन से फायर ब्रिगेड की तीन और हजरतगंज फायर स्टेशन से एक फायर टेंडर ने करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।
बस पर सवार रवि, बबलू, चंदन, मधु ने बताया कि कंडक्टर ने उनका सामान निचले हिस्से के लगेज कंपार्टमेंट में रखवा दिया था, जिसमें एजुकेशनल सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, कपड़े, रुपये, खाने का सामान समेत अन्य जरूरी चीजें थी। आग की चपेट में आने से सब जल गया। लोग जैसे सो रहे थे वैसे ही उठकर भागे। ऐसे में लोगों के जूते, चप्पल भी बस में ही छूट गए। अतियारपुर समस्तीपुर के चप्पल कारीगर धर्मेंद्र राम, बेगूसराय के लकड़ी कारीगर देवेंद्र शर्मा एक ही केबिन में सफर कर रहे थे। आग लगने के बाद मची अफरा तफरी के बीच धर्मेंद्र निकलने लगे, लेकिन उन्होंने देखा की देवेंद्र शर्मा बस में फंसे है। उन्होंने देवेंद्र को भी बचाकर बाहर निकाला। यात्रियों ने हिम्मत करके एक दूसरे को तो बचा लिया लेकिन कई युवा ऐसे थे जिनकी एजुकेशनल सर्टिफिकेट के साथ-साथ सब कुछ बस में जल गया। अब उसे दोबारा तैयार करना एक सपने जैसा है।
हाईवे पर हुई घटना की जानकारी पाकर डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल, एसडीएम मोहनलालगंज अंकित शुक्ला, एसडीएम सरोजनी नगर सचिन वर्मा, एडीसीपी दक्षिण अमित कुमावत, एसीपी मोहनलालगंज रजनीश वर्मा फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। बस पर सवार अन्य सवारियों के खानपान की व्यवस्था कर उन्हें पुलिस जीप, स्कूल बस व प्राइवेट गाड़ियों से रवाना किया गया।
27 सौ रुपये का टिकट, बस थी ओवर लोड
बस में सफर करने वाले सवारी चांदनी, राम ईश्वर, राजेश, गीता, संतोष कुमार, विकास शर्मा, रंजीत कुमार, सोमनाथ, सुमित, रंजीत, मनी कुमार, सुनील कुमार, सन्नी कुमार, टुनटुन, राजस्थान के बांसवाड़ा निवासी अनुज ङ्क्षसह, भारती ङ्क्षसह आदि ने बताया कि ट्रैवल एजेंसी संचालक ने हर सवारी से 27 सौ रुपये प्रति टिकट वसूले। इसके बावजूद दो लोगों की क्षमता वाली सीट पर तीन से चार लोग जबरन बैठा दिए। विरोध करने पर उन्हें रास्ते में उतारने की धमकी दी गई।
एक साल पहले बिना फिटनेस की चल रही बस उन्नाव स्थित आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे पर हादसे का शिकार हुई थी। जिसमें 18 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 30 लोग घायल हो गए थे। बिहार से दिल्ली जा रही डग्गामार बस में करीब 57 लोग सवार थे। शुरुआती जांच के बाद पुलिस का कहना है कि एक्सीडेंट ओवरटेक करने के चलते हुआ था। सवारियों से भरी डग्गामार बस दूध के टैैंकर से जा टकराई थी। पुलिस ने बस में मिले कागजों में दर्ज पते की जांच की तो वह फर्जी निकला था। बस का परमिट व बीमा तक नहीं था।
एक्सप्रेस वे पर यूपी में 73 फीसदी मौतें
देश भर के एक्सप्रेस वे पर हुए हादसों में 1780 लोगों की मौत हुई है, इसमें सबसे अधिक यूपी में 1310 लोगों की मौत हुई, जो एक्सप्रेस वे में सड़क हादसे में हुई कुल मौतों का 73 फीसदी है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देश भर में सबसे अधिक नेशनल हाईवे पर हुए हादसों में मौत हुई है। नेशनल हाईवे में 59,673 लोगों की मौत हुई, इसमें सबसे अधिक यूपी में 8236 और तमिलनाडु में 5978 लोगों की जान गई। वहीं, स्टेट हाईवे में 42,003 लोगों की सड़क हादसे में मौत हुई। इसमें पहले नंबर पर तमिलनाडु में 6,364 और दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश में 6,070 लोगों की जान गई।
डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि मोहनलालगंज में बस हादसे में घायल यात्रियों की इलाज के साथ-साथ उन्हें गतंव्य स्थान पर भेजने के लिए वाहनों की व्यवस्था कराई गई है। मृतकों के शव को पोस्टमार्टम के बाद उनके शवों को परिजनों के सुुपुर्द कर दिया गया। बस मेंं सवार यात्री की तहरीर पर बस मालिक, ड्राइवर व क्लीनर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच के लिए टीम भी गठित है। आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।