
अयोध्या। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य, राजसदन अयोध्या के मुखिया अयोध्या नरेश विमलेंद्र प्रताप मोहन मिश्र पप्पू भैया नहीं रहे। बीती रात (शनिवार) करीब साढ़े 11 बजे उन्होंने राजसदन में ही अंतिम सांस ली। वह लगभग 72 वर्ष के थे। उनकी अंत्येष्टि आज रविवार दोपहर 12 बजे अयोध्या में सरयू तट पर होगी। अयोध्या में राजवंश परिवार के मौजूदा राजा के रूप में विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र अयोध्या के लोगों के बीच राजा साहब के रूप में जाने जाते थे। वह अयोध्या रामायण मेला संरक्षक समिति के सदस्य भी थे।
अयोध्या राजवंश के राजा दर्शन सिंह की वंशावली से जुडी कड़ी में स्वर्गीय महारानी विमला देवी के दो पुत्र विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र और शैलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र हुए।
विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र के बड़े होने के कारण उन्हें इस राजवंश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला और उन्हें राजा अयोध्या के रूप में जाना जाने लगा। विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र के बेटे यतींद्र मोहन प्रताप मिश्र ख्यातिलब्ध साहित्यकार हैं। उन्होंने 2009 के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद संसदीय सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं सके थे।
श्री मिश्र राज परिवार ने 1994-95 में करीब 10 एकड़ जमीन, जो उनकी मां के नाम थी, उसे विहिप की राम जन्मभूमि न्यास को दान की थी। जिसकी कीमत उस समय 96 लाख रुपए थी। विमलेंद्र मोहन ने उस वक्त कहा था ‘‘प्रभु श्रीराम की कृपा से रातभर में ही अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल गई, इससे ज्यादा और क्या मिलेगा।’’ मिश्र परिवार द्वारा दी गई 10 एकड़ भूमि पर ही विहिप की कार्यशाला बनी है। वहां पर कई वर्षों से राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने का काम चल रहा था। अब इसकी कीमत कई करोड़ रुपए में आंकी जा रही है। विहिप के मंदिर आंदोलन के दौरान विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष स्व. अशोक सिंघल से केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों से वार्ता के दौरान विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ही कड़ी का काम करते थे।
फैजाबाद के कमिश्नर ने उनको राम मंदिर का पूरा दायित्व सौंपा
अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने जब ट्रस्ट बनाया। इसका नाम ‘श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ रखा गया। अयोध्या के पूर्व राज परिवार के सदस्य विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को ट्रस्टी बनाया गया। सबसे पहले उनको ट्रस्टी बनाकर फैजाबाद के कमिश्नर ने उनको राम मंदिर का पूरा दायित्व सौंप दिया था। इससे पहले फैजाबाद के कमिश्नर को रामजन्मभूमि मंदिर के पदेन रिसीवर की जिम्मेदारी रहती थी।
राम मंदिर ट्रस्ट व महंतगण ने जताया शोक
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी डॉक्टर अनिल मिश्र,भाजपा के पूर्व सांसद विनय कटियार सहित अनेक महत्वपूर्ण व्यक्तियों-संस्थाओं ने शोक संवेदना प्रकट की है। अयोध्या के प्रमुख संतों में दशरथ महल के महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य, रंगमहल के महंत रामशरण दास, श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख स्वामी राजकुमार दास, लक्ष्मण किला के महंत मैथिली रमण शरण, हनुमत निवास के महंत डॉ. मिथिलेशनदंनी शरण, नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास, संकट मोचन सेना के अध्यक्ष संजय दास, जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य, जगदगुरु रामानुजाचार्य, डॉ. राघवाचार्य, हनुमानगढ़ी के सरपंच महंत रामकुमार दास आदि ने शोक जताया है।
उनकी सादगी और सरलता
अयोध्या के पूर्व सांसद लल्लू सिंह, पूर्व मंत्री पवन पांडेय, विधायक वेद प्रकाश गुप्त, रामचंद्र यादव और मेयर महंत गिरीशपति तिवारी, पूर्व मेयर ऋषिकेश उपाध्याय और भाजपा नेता कमलाकांत सुंदरम ने इस घटना को बेहद दुखद बताया है। ऋषिकेश उपाध्याय ने कहा कि हमने एक युग खो दिया है। वे हमेशा स्नेह देते और उनका व्यवहार हमेशा पुत्रवत रहा। उनसे मिलकर मन प्रसन्न हो उठता था। उनकी सादगी और सरलता हृदय को छू लेती थी। श्री प्रताप धर्म सेतु वक्फ के चेयरमैन एवं महाराजा इंटर कालेज व महाराजा पब्लिक स्कूल समेत कई अन्य संस्थानों के भी संस्थापक न्यासी थे। वह अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गये। उनके बेटे यतीन्द्र मिश्र दैव के मूर्धन्य कवि-लेखक व साहित्यकार हैं और प्रसार भारती के सलाहकार भी हैं। अभी पिछले वर्ष ही उनकी पत्नी का निधन हो गया था।