
नई दिल्ली। संसद में पीएम, सीएम व मंत्री पर गम्भीर आरोप लगने पर इस्तीफा देने वाले विधेयक को पेश होते ही विपक्ष उखड़ गया और जमकर हंगामा किया। जबकि गृह मंत्री अमित शाह अमित शाह पूरी तरह डटे रहे। क्योंकि यह विधेयक नैतिक मूल्यों की रक्षा करने वाला और जनता की अपेक्षाओं को सिद्ध करने वाला है। अमित शाह द्वारा तीन महत्वपूर्ण विधेयक लोकसभा में 20 अगस्त बुधवार को पेश किये गये। इन विधेयकों में प्रावधान है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या किसी मंत्री पर गंभीर आरोप लगते हैं और वे न्यायिक हिरासत में रहते हैं तो उन्हें पद छोड़ना होगा। बिल पेश करते समय विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया और कागज़ के टुकड़े फेंके। अमित शाह ने कहा कि सरकार बिल को जेपीसी को भेजने के लिए तैयार है।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन विधेयक पेश किए। विधेयक के तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या फिर किसी मंत्री पर 5 साल से अधिक सजा के प्रावधान वाले केस में आरोप लगता है और अगर वह तीस दिनों तक न्यायिक हिरासत में रहते हैं तो उन्हें पद छोड़ना होगा। अमित शाह जब सदन में इस बिल को पेश कर रहे थे तो उस दौरान विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया। इतना ही नहीं विपक्षी नेताओं ने अमित शाह की तरफ बिल की कॉपी फाड़ कर फेंक दी। वहीं, कागज के टुकड़े अमित शाह की ओर उछाले। अमित शाह ने ये भी कहा कि सरकार इस बिल को जेपीसी को भेजने का प्रस्ताव रखती है। इसके बावजूद विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया। इतना ही नहीं विपक्षी सांसदों ने गृह मंत्री का माइक मोड़ने की कोशिश भी की। सदन के अंदर माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया। लोकसभा की वेल में नारेबाजी की शुरुआत टीएमसी सांसदों ने की। बिल पेश होते ही कल्याण बनर्जी ने नारेबाजी शुरू कर दी।
गिरफ्तारी से पहले ही इस्तीफा दिया – अमित शाह
विपक्ष के विरोध के बीच अमित शाह ने खुद अपना उदाहरण देते हुए कहा कि राजनीति में शुचिता बनाए रखने के लिए यह जरूरी है और हम अपनी जिम्मेदारी से न भागे।
अमित शाह ने कहा, “गुजरात में मैं मंत्री तो मेरे ऊपर आरोप लगे। मैंने पद से इस्तीफा दिया और कोर्ट के आदेशों का पालन किया। इसके बाद मैंने दोबारा जिम्मेदारी तब संभाली, जब आरोपों से बरी हो गया और संविधान के तहत मुझे पद हासिल करने का अधिकार मिला।