
बस्ती (उ. प्र)। सामाजिक सेवा के क्षेत्र में निरंतर कार्यरत एवं अपनी उत्कृष्ट पहचान बना चुके “साथी हाथ बढ़ाना ट्रस्ट” ने एक बार फिर मानवता की मिसाल कायम की है। ट्रस्ट ने गंभीर हालत में एक निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती मरीज राधेश्याम को 5 यूनिट प्लेटलेट्स उपलब्ध कराकर उनकी जान बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। राधेश्याम के परिवार में कोई रक्तदाता उपलब्ध नहीं था, ऐसे में ट्रस्ट की यह पहल उनके लिए जीवन रक्षक साबित हुई।
इस सहायता के लिए मरीज के परिजनों के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता दुर्गेश मणि त्रिपाठी ने ट्रस्ट के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। यह व्यवस्था स्थानीय ब्लड बैंक, सेवा ब्लड बैंक, के समन्वय से की गई। ट्रस्ट के इस प्रयास ने न केवल मरीज के लिए राहत का काम किया, बल्कि समाज में मानवता और एकजुटता का संदेश भी प्रसारित किया। स्थानीय प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन ने भी ट्रस्ट के इस मानवीय कार्य की सराहना की। उन्होंने कहा कि यदि अन्य सामाजिक संगठन भी इसी तरह आगे आएं, तो रक्त और प्लेटलेट्स की कमी को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। “साथी हाथ बढ़ाना ट्रस्ट” के संस्थापक राजकुमार पाण्डेय ने बताया कि उनकी संस्था का उद्देश्य हमेशा से जरूरतमंदों की सहायता करना रहा है। उन्होंने कहा, “हमारी संस्था अब तक सैकड़ों मरीजों को रक्त, प्लेटलेट्स और आर्थिक सहायता प्रदान कर चुकी है। हमारा लक्ष्य है कि कोई भी व्यक्ति रक्त, प्लेटलेट्स या आर्थिक तंगी के कारण अपनी जान न गंवाए। संकट की घड़ी में कोई अकेला न महसूस करे, यही हमारा प्रयास है, जिसे ट्रस्ट की पूरी टीम मिलकर निरंतर पूरा कर रही है।” इसके पहले भी संस्था के संस्थापक राजकुमार पाण्डेय ने लावारिस लाश को मुखाग्नि दे कर मानवता का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया था। ट्रस्ट के इस कार्य से न केवल मरीज और उनके परिवार को राहत दे रहा, बल्कि समाज में रक्तदान और प्लेटलेट्स दान के प्रति जागरूकता फैलाने का भी निरंतर काम कर रहा है। ट्रस्ट के प्रयासों से प्रेरित होकर कई लोग अब स्वेच्छा से रक्तदान और प्लेटलेट्स दान के लिए आगे आ रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस तरह के कार्य समाज में आपसी भाईचारे और सहयोग की भावना को और मजबूत करते हैं। स्थानीय प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन ने ट्रस्ट के इस प्रयास को सामाजिक सेवा का एक अनुकरणीय उदाहरण बताया। अस्पताल प्रबंधन के एक अधिकारी ने कहा, “साथी हाथ बढ़ाना ट्रस्ट का यह कदम न केवल मरीज के लिए जीवन रक्षक साबित हुआ, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सामूहिक प्रयासों से समाज में बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।” उन्होंने अन्य संगठनों और व्यक्तियों से भी इस तरह की पहल में भाग लेने की अपील की। “साथी हाथ बढ़ाना ट्रस्ट” ने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है और भविष्य में भी इसी तरह के कार्यों को जारी रखने का संकल्प लिया है। ट्रस्ट की यह पहल न केवल जरूरतमंदों के लिए एक उम्मीद की किरण है, बल्कि समाज के अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। इस तरह के कार्यों से न केवल जिंदगियां बच रही हैं, बल्कि समाज में मानवता और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा मिल रहा है।