
नई दिल्ली/पटना। बिहार में विधानसभा के चुनाव इसी साल के अंतिम महीनों में होने वाले हैं। इससे पहले चुनाव आयोग (ईसी) प्रदेश में मतदाता सूची को दुरुस्त कर लेना चाहता है। यही वजह है कि वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण किया जा रहा है। सामने आ रही जानकारी के मुताबिक बिहार राज्य में सात लाख फर्जी मतदाता हैं और बीस लाख मतदाताओं की मौत हो चुकी है।
चुनाव आयोग ने 23 जुलाई बुधवार को बिहार में मतदाता सूची को लेकर ताजा जानकारी साझा की है। आयोग ने एक्स हैंडल पर खुलासा किया है कि 23 जुलाई तक अब तक 98.01 प्रतिशत मतदाताओं के नाम इस पुनरीक्षण प्रक्रिया में शामिल किए जा चुके हैं।
निर्वाचन आयोग ने दी जानकारी
आयोग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, मतदाता सूची संशोधन के क्रम में करीब 20 लाख मृत मतदाताओं की पहचान की गई है। इसके अलावा लगभग 28 लाख ऐसे मतदाता भी हैं, जो कि अपने पहले पंजीकृत किए गए स्थानीय पते से स्थायी रूप से पलायन कर गए हैं। आयोग ने यह भी जानकारी दी है कि बिहार में करीब 7 लाख मतदाता ऐसे हैं, जो कि एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत पाए गए हैं। 1 लाख वोटर को आयोग ने लापता के रूप में चिह्नित किया है। वहीं, करीब 15 लाख मतदाता फॉर्म आयोग के पास वापस नहीं आए हैं।
चुनाव आयोग ने इसके साथ यह भी बताया है कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान 7.17 करोड़ मतदाता फार्म, जो कुल का लगभग 90.89% हैं, उसे प्राप्त हुए हैं। इन फार्म का डिजिटलीकरण भी आयोग की ओर से किया गया है। बिहार में बीते 22 सालों में ये पहली बार है, जब इस तरह से मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को दुरुस्त करना, साफ-सुथरा और पारदर्शी बनाना है। इसके माध्यम से अयोग्य, डुप्लिकेट/फर्जी या गैर-मौजूद प्रविष्टियों को हटाया जाना है, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि केवल सभी पात्र नागरिक ही इसमें शामिल हों।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
बता दें कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के 24 जून को दिए गए इससे संबंधित निर्देशों पर सवाल उठाए हैं। आयोग ने बिहार से शुरुआत करते हुए देशव्यापी एसआईआर शुरू करने का निर्देश दिया था। बहरहाल, चुनाव आयोग ने कोर्ट में दिए गए अपने हलफनामे में अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि एसआईआर प्रक्रिया मतदाता सूची से अपात्र व्यक्तियों को हटाकर चुनाव में पारदर्शिता बढ़ाती है।
मतदान का अधिकार
इस मामले में जहां तक कानून और देश के संविधान की बात है तो लोकतंत्र में लोगों को मतदान का अधिकार, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 16 और 19 तथा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 62 के साथ अनुच्छेद 326 से प्राप्त होता है। इसमें नागरिकता, आयु और सामान्य निवास के संबंध में कुछ योग्यताएं निर्धारित हैं। एक अयोग्य व्यक्ति को मतदान का अधिकार नहीं है और इस प्रकार वह इस संबंध में अनुच्छेद 19 और 21 के उल्लंघन का दावा नहीं कर सकता है।
ये दस्तावेज अनिवार्य नहीं
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज इस पुनरीक्षण में शामिल करने के लिए अनिवार्य नहीं हैं। हालांकि, एसआईआर-2025 में पहचान सत्यापन के लिए इनका सीमित रूप से उपयोग किया जा रहा है। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि ऊपर बताई गई कानूनी चिंताओं के अलावा, इन दस्तावेजों पर आयोग द्वारा एसआईआर प्रक्रिया के दौरान पहचान के सीमित उद्देश्य के लिए पहले से ही विचार किया जा रहा है।