
मजदूर दिवस पर डा. वीके वर्मा के हृदयोद्गार : आयुष चिकित्साधिकारी जिला चिकित्सालय बस्ती
मजदूरों की बस्ती है,
यहाँ जिन्दगी सस्ती है।
नित दुःख सागर में बहते है,
सदा अभावों मे रहते है।
श्रम का उचित मूल्य न पाते,
दुःख में जीवन सदा बिताते।
खाते मालिक की फटकार,
इनका जीना है दुश्वार,
कई-कई दिन भूखे रहते,
मालिक की है झड़की सहते।
हैं जवान पर बूढ़े लगते,
हाथ वेदना का नित गहते।
सहते हैं मालिक के ताने,
क्या मजदूर दिवस के माने।
इन पर कोई ध्यान न देता,
मान और सम्मान न देता।
इनको भी समझो इंसान,
इन्हें यथोचित दो सम्मान।
’वर्मा’ इनका करो न क्षय,
मजदूरों की बोलो जय।
डा. वी. के. वर्मा
आयुष चिकित्साधिकारी,
जिला चिकित्सालय-बस्ती