
(विशाल मोदी)
बस्ती (उ. प्र.)। वैसे तो पुलिस की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली के किस्से तमाम हैं, लेकिन बस्ती में पुलिस की गैरजिम्मेदारी और संवेदनहीनता ने एक भोले भाले किशोर की जान ले ली। यह पुलिस के पास अपने साथ हुए अत्याचार की शिकायत लेकर गया था, और पुलिस ने उसकी शिकायत को गम्भीरता से नहीं लिया। ऐसे हालात में आरोपियों के साथ पुलिस की मिलीभगत होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। जान गंवाने वाला किशोर अपने मामा के घर रहकर पढ़ाई करता था और हाईस्कूल का छात्र था। छात्र ने फांसी लगाकर अपनी इहलीला समाप्त कर दी। निश्चित रुप से पुलिस के व्यवहार ने उसे अन्दर तक झकझोर दिया होगा, और उसके कोमल मन पर गहरी चोट लगी होगी। क्योंकि वो जिस घटना को लेकर शिकायत करने गया था, वह निहायत शर्मिंदगी भरी घटिया वारदात थी। छात्र को बहाने से घर बुलाकर उसे नंगा करके पीटा गया और उसके मुंह पर पेशाब कर दिया गया था। इतना ही नहीं अपराधियों ने इस घटना का पूरा वीडियो भी बनाया था। मामला सुर्खियों में तब आया जब लोग लाश लेकर एसपी आफिस पहुंचे।
फांसी लगाकर खुदकुशी का शिकार युवक कप्तानगंज क्षेत्र में ननिहाल में रह रहा था। आरोपियों में से किसी ने उसे बर्थडे पार्टी के बहाने घर बुलाया, फिर उसे नंगा करके बेरहमी से उसकी पिटाई की। उसके मुंह पर पेशाब किया और अश्लील वीडियो भी बनाया। जब पीड़ित ने पुलिस से शिकायत की, तो पुलिस ने आरोपियों को पकड़ा जरुर पर कार्यवाही करने की बजाय कुछ ही देर बाद छोड़ भी दिया। इस घटना से आहत होकर 23 दिसम्बर सोमवार की फांसी लगाकर उसने अपनी जान दे दी। लोगों ने शव को कार में रखकर एसपी आफिस पहुंच कर खूब हंगामा किया। बाद में पुलिस ने कार्रवाई का आश्वासन दिया, तब जाकर परिजन पोस्टमार्टम कराने को तैयार हुए। उसके साथ यह शर्मसार करने वाली घटना 20 दिसम्बर शुक्रवार की है। यह संतकबीरनगर के बेलहर थाना क्षेत्र का मूल निवासी था। परिजन शव लेकर कप्तानगंज थाने पर भी गये थे। पुलिस अधिकारियों द्वारा समझाने के बाद लोगों ने शव को वापस कार में रखा। इतनी भारी जद्दोजहद के बाद उसके मामा की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया। यह घटना पुलिस का उस झूठे मानवीय चेहरे को उजागर करती है, जिसके लिए पुलिस खुद अपनी पीठ थपथपाने से नहीं थकती। क्या आरोपियों पर एफआईआर दर्ज हो जाने मात्र से पुलिस की गलतियां खत्म हो जाएंगी। देखना यह होगा कि जिले ईमानदार आला अधिकारी अपने जिम्मेदार मातहतों पर कोई कार्रवाई भी करते हैं या इधर उधर में उलझाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री करते हुए लीपापोती कर गुनहगार पुलिस कर्मियों को बचाने में लग जाते हैं।
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