आध्यात्मिक चिकित्सा की नई धारा : “मालिक नहीं, माली बनें” का संदेश देते योगी डॉ. नवीन सिंह
— प्रो. डॉ. नवीन सिंह, राष्ट्रीय महासचिव, विश्व संवाद परिषद (योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रकोष्ठ), भारत
बस्ती। आध्यात्मिक चिकित्सा के क्षेत्र में कार्यरत योगी एवं प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. नवीन सिंह ने मानव जीवन में मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति को जागृत करने हेतु एक अत्यंत महत्वपूर्ण संदेश दिया है— “मालिक नहीं, माली बनें।” उनका कहना है कि जीवन में अहंकार, मालकियत और नियंत्रण की झूठी भावना ही अधिकांश मानसिक विक्षिप्तताओं, तनाव और विषाद का मूल कारण बनती है।
डॉ. सिंह का मानना है कि मनुष्य स्वयं को जीवन का मालिक समझने लगता है, जबकि यह संसार, यह शरीर और सभी परिस्थितियाँ ईश्वर की सौंप दी हुई जिम्मेदारियाँ मात्र हैं। उन्होंने कहा कि मालिक बनने का बोझ मनुष्य को दबाता और पस्त करता है, जबकि माली बनकर जीने से जीवन हल्का, सरल और आनंदमय हो जाता है।
उन्होंने कहा कि “जब हम यह स्वीकार कर लेते हैं कि वास्तविक स्वामी परमेश्वर है और हमें केवल उसके द्वारा सौंपे कार्यों का संचालन करना है, तब मन अनावश्यक तनावों और मानसिक उलझनों से स्वतः मुक्त होने लगता है।” आध्यात्मिक चिकित्सा के विशेषज्ञों के अनुसार, यह भाव जीवन में संतोष, शांति और गहरी स्थिरता लाता है।
डॉ. नवीन सिंह ने आगे कहा कि भूतकाल की शिकायतें और भविष्य की बेचैनी मन को विकृत करती हैं। “हमें न हानि में सिर पटकना है और न ही लाभ में पागल होना है। वर्तमान को जागरूकता, कर्तव्यनिष्ठा और संतुलन के साथ जीना ही सच्ची आध्यात्मिक चिकित्सा है।” उनका स्पष्ट संदेश है कि मनुष्य को माली की तरह अपनी भूमिकाओं को प्रेम, विनम्रता और जिम्मेदारी के साथ निभाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि कर्तव्य पालन में कभी ढिलाई नहीं होनी चाहिए। “जिस बोझ को कंधे पर रखा गया है, उसे पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाएँ, और प्रसन्न रहें। ईश्वरीय विश्वास, धैर्य और विवेक ही आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।”
अंत में उन्होंने समाज से अपील की कि पंचशीलों को अपनाकर आध्यात्मिक चिकित्सा की इस पवित्र धारा को जीवन में स्थान दें, जिससे मानसिक रोगों, असंतोष और आंतरिक संघर्षों से मुक्ति मिल सके।
यह संदेश आज के तनावग्रस्त समाज के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा प्रदान करता है, जहाँ आध्यात्मिक सोच और संतुलित जीवन ही जीवनशक्ति को पुनर्जीवित कर सकते हैं।





