
बस्ती (उ. प्र.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बस्ती (गोरक्ष प्रान्त) अरविन्द बस्ती के तत्वावधान में विजयादशमी उत्सव हर्षोल्लास से मनाया गया। मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय बौद्धिक प्रमुख मिथिलेश, नगर संघचालक सुनील मिश्र, प्रसिद्ध व्यवसायी विनोद सचदेवा की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध व्यवसायी विनोद सचदेवा ने की। मुख्य वक्ता के रूप में पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्रीय बौद्धिक प्रमुख मिथिलेश नारायण उपस्थित रहे। मुख्य वक्ता मिथिलेश ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में संघ के “पाँच परिवर्तनों” का उल्लेख करते हुए विजयादशमी उत्सव के महत्व पर प्रकाश डाला और संघ की कार्य विस्तार यात्रा का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष राष्ट्र निर्माण, सेवा और संगठन की सदी भर की प्रेरक यात्रा का प्रतीक है। यह वर्ष “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के संकल्प को साकार करने का समय है, जहाँ समाज, संस्कृति और संस्कार एक सूत्र में पिरोए जा रहे हैं। यह केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर और संगठित भारत के निर्माण का संकल्प है।
उन्होंने बस्ती और आजमगढ़ में विभाग प्रचारक के रूप में अपने समय के संस्मरण की चर्चा भी की। उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों की त्याग-तपस्या से प्रभावित होकर बहुत से अन्य लोग भी स्वयंसेवक बने। संघ के कार्यकर्त्ता प्रत्येक स्थिति में सहयोग को तत्पर रहते हैं। तमाम प्रतिबन्धों के बाद भी संघ आगे बढ़ता रहा। देश में आए हर संकट के समय संघ के स्वयंसेवकों ने अपना योगदान और सहयोग प्रदान किया है। कोरोना काल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने अपनी जान की परवाह किये बिना जाति-धर्म से ऊपर उठकर लोगों की सेवा की और यथासंभव सभी को सहयोग प्रदान किया। तत्पश्चात सरस्वती विद्या मन्दिर रामबाग से पथ संचलन निकाला गया जो जनता होटल, हनुमानगढ़ी, राम – जानकी मंदिर से होते हुए पुनः महरीखावां स्थित विद्यालय तक पहुंचा। पथ संचलन में स्वयंसेवकों ने अनुशासनबद्ध पंक्तियों में भाग लिया।
इस अवसर पर बस्ती विभाग के विभाग प्रचारक श्री ऋषि जी, विभाग कार्यवाह आशीष जी, जिला कार्यवाह श्री नीरज जी, जिला प्रचारक सर्वेन्द्र जी, सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रामबाग के प्रधानाचार्य श्री गोविन्द सिंह जी, उपप्रधानाचार्य श्री विजय नारायण उपाध्याय जी, सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य श्री भानु प्रताप त्रिपाठी, सुधांशु जी, वायुनन्दन जी, अभिनव जी, राजेश जी, डॉ उपेंद्र जी, आशीष जी, रणजीत जी, अंकित जी, हरीश जी सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे। विजयादशमी उत्सव में “शून्य से एक शतक बनते, अंक की मनभावना…” का भाव साकार रूप में दृष्टिगोचर हुआ।